अभिव्यक्ति की नई क्रांति यानी हिन्दी ब्लॉगिंग का वैश्विक हस्तक्षेप अभिव्यक्ति की नई क्रांति यानी हिन्दी ब्लॉगिंग का वैश्विक हस्तक्षेप

पुस्तकः हिंदी ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति की नई क्रांति/ संपादकः अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात /प्रकाशकः हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौ...

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2:54 pm

राष्ट्र की ‘संज्ञा’ को परिभाषित करता एक उपन्यास ( ‘राष्ट्र समूह वाचक नहीं, बल्कि व्यक्ति वाचक’) राष्ट्र की ‘संज्ञा’ को परिभाषित करता एक उपन्यास ( ‘राष्ट्र समूह वाचक नहीं, बल्कि व्यक्ति वाचक’)

Written by  परिकल्पना संपादकीय टीम   |  October 15, 2011  |   2 ‘बंद कमरा’ उपन्यास में राष्ट्र की ‘संज्ञा’ को भी परिभाषित कि...

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3:00 pm

नया पथ, नया जीवन संदेश नया पथ, नया जीवन संदेश

Written by  परिकल्पना संपादकीय टीम   |  July 13, 2011  |   6 आजकल चर्चा में है एक उपन्यास, नाम है ताकि बचा रहे लोकतंत्र रवीन्द्र प्...

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2:57 pm

एक सार्थक समीक्षा वाणी शर्मा के द्वारा एक सार्थक समीक्षा वाणी शर्मा के द्वारा

पुस्तकें यूँ हीं नहीं लिखी जातीं , न यूँ हीं पढ़ी जाती हैं …. पृष्ठ दर पृष्ठ उन्हें समझना होता है . एक सार्थक समीक्षा वाणी शर्मा के द्वारा...

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2:51 pm

ताकि बची रहे मानवता ताकि बची रहे मानवता

Written by  परिकल्पना संपादकीय टीम   |  June 8, 2011  |   0   पुस्‍तक समीक्षा   ज़ाकिर अली  ‘ रजनीश ’   आदिकाल से ही भारती...

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3:04 pm

उपन्यास अंश-११ ( ताकि बचा रहे लोकतंत्र ) उपन्यास अंश-११ ( ताकि बचा रहे लोकतंत्र )

(ग्यारह) काफी सुबह आंखे खुल गयी झींगना की, किन्तु अनमने मन से बिस्तर पर लेटे - लेटे उजाला होने का इन्तजार करने लगा । अचानक उसके कानों में...

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4:00 pm

उपन्यास अंश-१० (ताकि बचा रहे लोकतंत्र ) उपन्यास अंश-१० (ताकि बचा रहे लोकतंत्र )

(दस) पुराना लखनऊ का नक्खास मोहल्ला । बेहद शांत और तहजीब से लबरेज । गंगा - जमुनी संस्कृति का जीबंत गवाह । गारे और चूने की पुरानी इमारतें,...

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5:15 pm

उपन्यास अंश-९ (ताकि बचा रहे लोकतंत्र) उपन्यास अंश-९ (ताकि बचा रहे लोकतंत्र)

(नौ) वैशाली एक्सप्रेस के आरक्षण डिब्बे में शौचालय के आस - पास मुंह लटकाये बैठा है झींगना । उसके मन में कुछ खदबदा रहा है । वह अथाह सोच ...

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7:16 pm
 
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